अहंकार वश जब रावन ने कैलाश पर्वत उठाने की ठानी तब महादेव
ने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया जिसके बाद रावण चाह कर भी कैलाश पर्वत
को हिला नही पाया तब रुद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने १७ श्लोको पञ्चचामर छंद का पाठ किया जिसे शिवतांडवस्त्रोतम् के नाम से
जाना जाता है |
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